चित्र संसार
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Friday, August 30, 2013
फूल गुलाब का
फूल जीवन का चिरंतन प्राण है
या समर्पण का निरापरिमाण है
फूल पतझड़ है नहीं फूलों भरा मधुमास है
तृप्ती हो मन की यहाँ ऐसी अनोखी प्यास है
फूल के मधुमास में साबन मनाना चाहता हूँ
गुनगुनाना चाहता हूँ
गुनगुनाना चाहता हूँ
मदन मोहन सक्सेना
हम हमेशा मुस्कराएँ हैं
हम हमेशा मुस्कराएँ हैं (कथा बिम्ब)
मदन मोहन सक्सेना
Monday, August 26, 2013
अब तो आ कान्हा जाओ
अब तो आ कान्हा जाओ, इस धरती पर सब त्रस्त हुए
दुःख सहने को भक्त तुम्हारे आज क्यों अभिशप्त हुए
नन्द दुलारे कृष्ण कन्हैया ,अब भक्त पुकारे आ जाओ
प्रभु दुष्टों का संहार करो और प्यार सिखाने आ जाओ
मदन मोहन सक्सेना
Thursday, August 22, 2013
मधुर परिबारिक यादें
मधुर परिबारिक यादें
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