Tuesday, December 30, 2014

नब बर्ष (२०१५ )

नब बर्ष (२०१५ ) की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

मंगलमय हो आपको नब बर्ष का त्यौहार
जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
इश्वर की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार










मदन मोहन सक्सेना


Thursday, December 11, 2014

जन्म दिन की अनेकानेक बधाई।

आज मेरी श्रीमती  का जन्म है।  जन्म दिन की अनेकानेक बधाई।

मंगलमय हो प्रिये तुम्हें ये दिन सौ सौ बार
लक्ष्मी की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार
ईश्वर से हम कर रहे हर पल ये ही पुकार
जीबन में आती रहे हर पल नयी बहार




Monday, December 1, 2014

मेरी ग़ज़ल जय विजय ,बर्ष -१ , अंक 3 ,दिसम्बर २०१४ में


 
 
 
 
 
प्रिय मित्रों मुझे बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है कि मेरी ग़ज़ल जय विजय  ,बर्ष -१ , अंक 3  ,दिसम्बर   २०१४ में प्रकाशित हुयी है . आप भी अपनी प्रतिक्रिया से अबगत कराएँ .
 





अपनी जिंदगी गुजारी है ख्बाबों के ही सायें में 
ख्बाबों  में तो अरमानों के जाने कितने मेले हैं  

भुला पायेंगें कैसे हम ,जिनके प्यार के खातिर
सूरज चाँद की माफिक हम दुनिया में अकेले हैं  

महकता है जहाँ सारा मुहब्बत की बदौलत ही
मुहब्बत को निभाने में फिर क्यों सारे झमेले हैं  

ये उसकी बदनसीबी गर ,नहीं तो और फिर क्या है
जिसने पाया है बहुत थोड़ा ज्यादा गम ही झेले हैं

अपनी जिंदगी गुजारी है ख्बाबों के ही सायें में
ख्बाबों  में तो अरमानों के जाने कितने मेले हैं  

ग़ज़ल:
मदन मोहन सक्सेना